Teri Mohabbat Pe Shak Nahi Mujhe | तेरी मुहब्बत पे शक़ नहीं है, तेरी वफ़ाओं को मानता हूं


तेरी मुहब्बत पे शक़ नहीं है, तेरी वफ़ाओं को मानता हूं
मगर तुझे किसकी आरज़ू है, मैं ये हकीकत भी जानता हूं

न आदमी का कोई भरोसा, न दोस्ती का कोई ठिकाना
वफ़ा का बदला है बेवफ़ाई अजब ज़माना है ये ज़माना
न आदमी का कोई भरोसा

न हुस्न में अब वो दिलकशी है, न इश्क में अब वो ज़िंदगी है
जिधर निगाहें उठाके देखो, सितम है धोखा है बेरुखी है
बदल गये ज़िंदगी के नग़मे, बिखर गया प्यार का तराना … (२)
न आदमी का कोई भरोसा

दवा के बदले में ज़हर दे दो उतार दो मेरे दिल में ख़ंजर
लहू से सींचा था जिस चमन को, उगे हैं शोले उसी के अंदर
मेरे ही घर के चिराग ने ख़ुद, जला दिया मेरा आशियाना … (२)

न आदमी का कोई भरोसा, न दोस्ती का कोई ठिकाना
वफ़ा का बदला है बेवफ़ाई अजब ज़माना है ये ज़माना

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