आज पुरानी राहों से, कोई मुझे आवाज़ न दे … (२)
दर्द में डूबे गीत न दे, गम का सिसकता साज़ न दे … (२)
हो हो हो वो हो हो हो
बीते दिनों की याद थी जिनमें, मैं वो तराने भूल चुका
आज नई मंज़िल है मेरी, कल के ठिकाने भूल चुका
न वो दिल न सनम, न वो दीन-धरम
अब दूर हूँ सारे गुनाहों से
आज पुरानी राहों से, कोई मुझे आवाज़ न दे
दर्द में डूबे गीत न दे, गम का सिसकता साज़ न दे
हो हो हो वो हो हो हो
जीवन बदला दुनिया बदली, मन को अनोखा ज्ञान मिला
आज मुझे अपने ही दिल में, एक नया इनसान मिला
पहुँचा हूँ वहाँ, नहीं दूर जहाँ, भगवान भी मेरी निगाहों से
आज पुरानी राहों से, कोई मुझे आवाज़ न दे