Jinhe Hum Bhulna Chahe | जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं


जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं … (२)
बुरा हो इस मोहब्बत का … (२)
वो क्यूँ कर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

बुलाएँ किस तरह उनको कभी पी थी उन आँखों से … (२)
कभी पी थी उन आँखों से
छलक जाते हैं जब आँसू … (२) वो साग़र याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

किसी के सुर्ख़ लब थे या दिए की लौ मचलती थी … (२)
दिए की लौ मचलती थी
जहां की थी कभी पूजा … (२) वो मंज़र याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं

रहे ऐ शम्मा तू रोशन दुआ देता है परवाना … (२)
जिन्हें क़िस्मत में जलना है … (२) वो जल कर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
बुरा हो इस मोहब्बत का … (२)
वो क्यूँ कर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें वो अक्सर याद आते हैं
जिन्हें हम भूलना चाहें

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